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  Kavi Kulwant Singh

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 Pranay Geet

प्रणय गीत

गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो ।

शीतल अनिल अनल दहकाती
सोम कॊमुदी मन बहकाती
रति यामिनी बीती जाती
प्राण प्रणय आ सेज सजा दो ।
गीत प्रणय का अधर सजा दो ।

गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो ।

ताल नलिन छटा बिखराती
कुंतल लट बिखरी जाती
गुंजन मधुप विषाद बढाती
प्रिय वनिता आभास दिला दो ।
गीत प्रणय का अधर सजा दो ।

गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो ।

नंदन कानन कुसुम मधुर गंध
तारक संग शशि नभ मलंद
अनुराग मृदुल शिथिल अंग
रोम रोम मद पान करा दो ।
गीत प्रणय का अधर सजा दो ।

गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो ।


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